“आत्मनो मोक्षार्थ जगत् हिताय च”
जहाँ साधना, सेवा और संस्कार से बनते हैं महामानव

स्वागत है सिद्धनाथ आश्रम में
योगानन्द आश्रम ट्रस्ट का उद्देश्य है आध्यात्मिकता और शिक्षा को साथ लेकर चलना। यहाँ साधकों के लिए शांत वातावरण, साधना कुटीर, विशाल पुस्तकालय, निशुल्क अन्नक्षेत्र और आध्यात्मिक पाठशाला उपलब्ध है। आश्रम में गीता, उपनिषद, ब्रह्मसूत्र व योगशास्त्रों का अध्ययन कराया जाता है तथा योग्य साधकों को क्रियायोग दीक्षा प्रदान की जाती है।
हमारा संकल्प है कि भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा को पुनः जीवित किया जाए और “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को विश्व तक पहुँचाया जाए। आश्रम का प्रत्येक कार्य धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा के लिए समर्पित है।
आश्रम की विशेषताएँ

251 साधना कुटीर (निर्माणाधीन)

आध्यात्मिक पुस्तकालय एवं वाचनालय

अन्नक्षेत्र – प्रतिदिन निशुल्क भण्डारा

योग्य साधकों हेतु क्रियायोग दीक्षा
हमारे बारे में (About Us)
योगानन्द आश्रम ट्रस्ट (पंजीकृत एवं 80G मान्यता प्राप्त) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है – भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों को पुनर्जीवित करना। मुग़लों और अंग्रेजों द्वारा शिक्षा व्यवस्था के नष्ट होने के बाद आज आवश्यकता है कि हम पुनः आध्यात्मिकता व संस्कारों से जुड़ी शिक्षा प्रदान करें। आश्रम इसी दिशा में कार्यरत है।
आश्रम के संस्थापक, स्वामी रामानन्द गिरि जी महाराज, दर्शनशास्त्र में विद्वान एवं क्रियायोग परंपरा के साधक हैं। उन्होंने सन 1985 में क्रियायोग दीक्षा प्राप्त की और 2023 में सन्यास लिया। वर्तमान में सिद्धनाथ आश्रम (दमनपुर, कानपुर देहात) से वे साधना कुटीर, पुस्तकालय, अन्नक्षेत्र, योग पाठशाला व भविष्य में गुरुकुल और गौशाला जैसी योजनाओं का संचालन कर रहे हैं।

🌿 प्रस्तावित कार्य
(Proposed Projects)

आध्यात्मिक गुरुकुल

गौशाला

अतिथि गृह निर्माण

प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद केंद्र

सत्संग भवन
भजन, प्रवचन और आध्यात्मिक संगोष्ठियों के लिए विशाल सत्संग स्थल का निर्माण।

भोजनशाला एवं भण्डार गृह

ईश्वर से जुड़ने का दिव्य सेतु
हमारी गुरु परंपरा
हमारी परंपरा दिव्य साधना, आत्मिक ज्ञान और गुरु-शिष्य संबंध की अनूठी परंपरा है। यह वंशावली न केवल साधना का मार्ग दिखाती है, बल्कि आत्मिक जागृति और जीवन में संतुलन का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
महावतार बाबाजी से लेकर स्वामी रामानन्द गिरि तक, हर गुरु ने प्रेम, शांति और आध्यात्मिक विकास का संदेश दिया। यह गुरु परंपरा हमें जीवन के उच्चतम सत्य और परमात्मा से मिलन की दिशा में अग्रसर करती है।
गुरु परंपरा की अमर धारा:
महावतार बाबाजी → श्री श्यामाचरण लाहिड़ी → स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि → परमहंस योगानन्द → स्वामी आनन्दमय गिरि → स्वामी रामानन्द गिरि
धर्मरक्षा एवं मानवता की सेवा में योगदान दें
आपका सहयोग ही आश्रम की साधना, सेवा और शिक्षा की नींव है।